उत्तराखंड में बदलाव की बयार ज़ोरों पर है! मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अगुवाई में प्रदेश ने समान नागरिक संहिता
(UCC) को ज़मीन पर उतारने में ना सिर्फ़ तेजी दिखाई है, बल्कि रिकॉर्ड समय में लोगों की भागीदारी से देशभर में मिसाल
भी कायम कर दी है। महज़ चार महीने के भीतर पूरे राज्य से 1.5 लाख से ज़्यादा आवेदन आ चुके हैं — और वो भी 98%
गांवों की भागीदारी के साथ! 🙌
नई दिल्ली में आयोजित मुख्यमंत्री परिषद की बैठक में मुख्यमंत्री धामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने उत्तराखंड की इस ऐतिहासिक उपलब्धि का ज़िक्र करते हुए कहा कि UCC को लागू करने के लिए एक मजबूत और प्रभावी व्यवस्था तैयार की गई है।
📱 तकनीक का साथ, जनता के पास
UCC को हर नागरिक तक पहुँचाने के लिए सरकार ने एक खास पोर्टल और मोबाइल ऐप तैयार किया है। साथ ही, 14,000 से ज्यादा कॉमन सर्विस सेंटर्स (CSC) को इस अभियान से जोड़ा गया है। आवेदन प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए ऑटो एस्केलेशन और शिकायत निवारण प्रणाली भी लागू की गई है।
📈 संख्याएँ जो भरोसा जगाती हैं
चार महीने में जहाँ डेढ़ लाख आवेदन दर्ज किए गए, वहीं 1.4 लाख से ज़्यादा शादियों का पंजीकरण हुआ। तलाक के 178 मामलों और केवल 28 लिव-इन रिलेशनशिप पंजीकरण यह दिखाते हैं कि समाज में कानून को लेकर विश्वास बढ़ रहा है।
🗳️ वादा, जो निभाया गया
सीएम धामी ने बताया कि 2022 विधानसभा चुनावों से पहले जो वादा जनता से किया गया था, उसे पहले दिन से निभाना शुरू कर दिया गया। 27 मई 2022 को जस्टिस रंजना देसाई की अध्यक्षता में एक समिति बनी, जिसने 13 जिलों में जनसुनवाई की और 2.32 लाख सुझाव एकत्र किए।
📜 इतिहास रचने वाला कानून
7 फरवरी 2024 को विधानसभा से पास हुआ UCC बिल, 11 मार्च को राष्ट्रपति की मंज़ूरी के बाद 27 जनवरी 2025 को पूरे प्रदेश में लागू कर दिया गया। उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया जिसने संविधान के अनुच्छेद 44 को व्यवहारिक धरातल पर उतारा। 🇮🇳
⚖️ समानता की ओर एक बड़ा क़दम
UCC का उद्देश्य है – सभी नागरिकों को एक जैसा कानूनी अधिकार देना, चाहे वो किसी भी जाति, धर्म या लिंग के हों। अब विवाह, तलाक और संपत्ति के मामलों में सभी धर्मों के लिए एकसमान क़ानून लागू होगा।
👩🦰 महिलाओं को मिला न्याय का हक़
अब प्रदेश में हलाला, तीन तलाक, बहुविवाह, बाल विवाह जैसी कुप्रथाएं पूरी तरह खत्म हो जाएंगी। बेटियों को संपत्ति में बराबरी का हक मिलेगा और माता-पिता को बच्चों की संपत्ति में अधिकार मिलने से बुज़ुर्गों की आर्थिक सुरक्षा भी तय होगी।
🧒 युवाओं की सुरक्षा भी पुख़्ता
लिव-इन रिलेशनशिप की पारदर्शिता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अब रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा और इसकी जानकारी माता-पिता को दी जाएगी — वो भी गोपनीयता के साथ।
🌿 जनजातियों की पहचान को सम्मान
राज्य की अनुसूचित जनजातियों को इस कानून से अलग रखा गया है, ताकि उनकी सांस्कृतिक परंपराओं और रीति-रिवाजों की गरिमा बनी रहे।
📢 एकता की मिसाल, भेदभाव का अंत
सीएम धामी ने कहा कि UCC किसी धर्म के खिलाफ नहीं, बल्कि समाज की कुरीतियों को दूर करने की एक संवैधानिक पहल है। संविधान निर्माताओं की सोच अब ज़मीनी सच्चाई बन चुकी है।