उत्तराखंड की दूसरी राजभाषा संस्कृत को फिर से जन-जन की भाषा बनाने और इसे संरक्षण-संवर्धन की दिशा में आगे बढ़ाने के लिए राज्य सरकार ने एक अहम कदम उठाया है। बुधवार को सचिवालय परिसर में ‘संस्कृत संभाषण शिविर’ का शुभारंभ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कैबिनेट बैठक के बाद किया। इस अवसर पर सभी कैबिनेट मंत्री और मुख्य सचिव भी मौजूद रहे।
🗣️ संस्कृत को घर-घर पहुंचाने का संकल्प
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि राज्य सरकार अपनी संस्कृति और भाषाई धरोहर, विशेषकर संस्कृत, को संरक्षित करने और आम जनता से जोड़ने के लिए प्रतिबद्ध है। इसी सोच के तहत राज्य के 13 जनपदों में 13 संस्कृत ग्राम विकसित किए जा रहे हैं, जो कि भारत की प्राचीन भाषा परंपरा को जीवंत बनाए रखने की दिशा में एक अहम प्रयास है।
📖 वेद-उपनिषद् होंगे आम जन के लिए सुलभ
मुख्यमंत्री ने बताया कि उत्तराखंड संस्कृत अकादमी के माध्यम से वेद, दर्शन, उपनिषद् जैसे प्राचीन भारतीय ज्ञान की परंपराओं को आम जन तक पहुंचाने के लिए अनेक योजनाएं चलाई जा रही हैं। इन योजनाओं के माध्यम से संस्कृत को केवल अध्ययन की नहीं, बल्कि संवाद की भाषा बनाने का प्रयास हो रहा है।
🏛️ सचिवालय में संस्कृत संवाद की पहल
सचिव संस्कृत शिक्षा दीपक कुमार गैरोला ने बताया कि 29 मई से 12 जून तक सचिवालय परिसर में संस्कृत संभाषण कक्षाओं का संचालन किया जा रहा है। इन कक्षाओं में सचिवालय के अधिकारी और कर्मचारी हिस्सा लेंगे और संस्कृत में संवाद का अभ्यास करेंगे। इसके लिए सचिवालय प्रशासन विभाग ने भी औपचारिक निर्देश जारी कर दिए हैं।
🙏 यह शिविर न केवल भाषा के अभ्यास का माध्यम बनेगा, बल्कि यह एक सांस्कृतिक पुनर्जागरण की ओर भी संकेत करता है, जिसमें उत्तराखंड एक अग्रणी भूमिका निभा रहा है।