🚜 ट्रैक्टर की स्टेयरिंग पर जननेता धामी: ज़मीन से जुड़ाव की अनोखी मिसाल

लिब्बरहेड़ी (हरिद्वार)।
जब एक मुख्यमंत्री मंच छोड़कर खेत की पगडंडियों पर ट्रैक्टर लेकर उतरता है, तो ये सिर्फ तस्वीर नहीं होती—ये एक संदेश होता है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरिद्वार के लिब्बरहेड़ी गांव में जो किया, वो सिर्फ एक राजनीतिक दौरा नहीं था, बल्कि जनता से जुड़ने की एक भावनात्मक पहल थी।

ट्रैक्टर की स्टेयरिंग संभालते ही गांव की रफ्तार बदल गई 🚜
सीएम धामी जैसे ही ट्रैक्टर की सीट पर बैठे, गांव के लोगों की आंखों में चमक और दिल में गर्व उमड़ पड़ा। बच्चे दौड़ पड़े, बुज़ुर्ग खड़े हो गए और महिलाएं मुस्कुरा उठीं। खुद मुख्यमंत्री ने कहा,

“ये ट्रैक्टर सिर्फ एक मशीन नहीं, बल्कि हमारे अन्नदाता भाइयों की मेहनत की पहचान है।”

यह दृश्य दर्शा रहा था कि एक नेता का असली कद भाषणों से नहीं, बल्कि ज़मीन से जुड़ने से बनता है।

UCC पर जनता से सीधी बात 🧑‍⚖️
लिब्बरहेड़ी यात्रा का एक और अहम मकसद था—उत्तराखंड में लागू की गई समान नागरिक संहिता (UCC) पर जनता से खुलकर बात करना। मुख्यमंत्री ने साफ शब्दों में कहा:

“UCC किसी मज़हब के खिलाफ नहीं है। यह कानून सभी नागरिकों को समान अधिकार देने की दिशा में एक मजबूत कदम है—वही सपना जो बाबा साहब अंबेडकर ने देखा था।”

इस बयान ने वहां मौजूद हर नागरिक को यह भरोसा दिलाया कि यह सरकार सबको साथ लेकर चलने का संकल्प रखती है।

गांव, किसान और युवा: धामी सरकार की असली प्राथमिकता 🌾
कार्यक्रम के दौरान सीएम धामी ने कई जनकल्याणकारी योजनाओं का ज़िक्र किया—जैसे किसानों के लिए आधुनिक तकनीकी ट्रेनिंग, युवाओं के लिए स्टार्टअप योजनाएं, सिंचाई के साधनों का विस्तार और स्वास्थ्य सेवाओं का सशक्तिकरण।

“हमारा मकसद सिर्फ विकास करना नहीं, बल्कि विकास को आखिरी व्यक्ति तक पहुंचाना है।” – सीएम धामी

जनसैनिक की भूमिका में सीएम
धामी खुद को नेता नहीं, जनसैनिक कहते हैं। लिब्बरहेड़ी की मिट्टी में उनका ये स्वरूप साफ दिखा—जहां न सत्ता का गुरूर था, न मंच की दूरी। बस एक सीधा जुड़ाव और जनता के प्रति सच्ची निष्ठा।