देहरादून के मसूरी रोड स्थित एक होटल में बुधवार को आयोजित “एक देश, एक चुनाव” विषय पर संयुक्त संसदीय समिति
(जेपीसी) के संवाद कार्यक्रम में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने समिति के
अध्यक्ष पी. पी. चौधरी और अन्य सदस्यों का स्वागत करते हुए कहा कि यह पहल हमारे लोकतंत्र को और अधिक सशक्त,
प्रभावी और समावेशी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
मुख्यमंत्री धामी ने बताया कि वर्तमान में अलग-अलग समय पर चुनाव होने से बार-बार आचार संहिता लागू होती है, जिससे राज्य के विकास कार्य प्रभावित होते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले तीन वर्षों में उत्तराखंड में विधानसभा, लोकसभा और निकाय चुनावों के कारण 175 दिन तक आचार संहिता लागू रही, जिससे प्रशासनिक मशीनरी नीतिगत निर्णय लेने से वंचित रही।
धामी ने सुझाव दिया कि यदि विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ कराए जाएं, तो राज्य और केंद्र सरकारों पर व्यय भार समान रूप से आधा-आधा हो जाएगा, जिससे कुल व्यय में लगभग 30 से 35 प्रतिशत तक की बचत होगी। इस बचत का उपयोग स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क, जल, कृषि और महिला सशक्तिकरण जैसे क्षेत्रों में किया जा सकता है।
उन्होंने यह भी बताया कि उत्तराखंड में जून से सितंबर के बीच चारधाम यात्रा और बारिश के कारण चुनावी कार्यक्रम में कठिनाइयाँ आती हैं। इसके अलावा, जनवरी से मार्च तक वित्तीय वर्ष की अंतिम तिमाही और बोर्ड परीक्षाओं के समय भी चुनावी प्रक्रिया से प्रशासनिक संसाधनों पर दबाव पड़ता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड जैसे पहाड़ी और विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले राज्यों में “एक देश, एक चुनाव” की अवधारणा महत्वपूर्ण है, क्योंकि दुर्गम क्षेत्रों में मतदान केंद्रों तक पहुंचना कठिन होता है, जिससे चुनाव प्रक्रिया में अधिक समय और संसाधन लगते हैं। बार-बार चुनाव होने से लोगों में मतदान के प्रति रुझान कम होता है और मतदान प्रतिशत भी घटता है।